संत सेवालाल का जन्म 15 फरवरी 1739 साल में गोला दौड़ी तांडा तालुका कुंती जिला आंध्र प्रदेश में हुआ था उसके माता का नाम धर्मानी और पिता का नाम भीमा नायक था संत सेवालाल जगदंबा देवी के अनन्य भक्त थे बंजारों के संत और महान योद्धा और व्यापारी थे संत सेवालाल एक बार जगदंबा देवी के साथ स्वर्ग में गए थे और वह क्यों गए थे कि जगदंबा देवी ने संत सेवालाल को शादी करने के लिए कहा था लेकिन स्वर्ग में श्री विष्णु के आगे संत सेवालाल ने यह कहा कि मैं शादी नहीं कर सकता क्योंकि मुझे इस दुनिया में कोई भाई बापू भाया गुरु सद्गुरु भगवान कहते थे इसलिए मैं शादी नहीं कर सकता संत सेवालाल एक बहुत बड़े व्यापारी धर्म सुधारक और वह अनन्या जगदंबा देवी के भक्त थे संत सेवालाल हिंदुस्तान में सबसे बड़े व्यापारी और वह व्यापार गायों पर लाद कर ले जाते थे संत सेवालाल एक महान योद्धा तपस्वी धर्मगुरु और जगतगुरु बंजारा समाज में जन्म हुआ संत सेवालाल ने इंग्लिश के शासन में भारतीय हिंदुस्तान में लोगों को राजाओं को पर जाओ को बहुत ही शासन के अनुसार और अच्छी व्यवस्था नहीं थी इसलिए संत सेवालाल ने भारतीय राजाओं को धन्य पहुंचाने का काम किया संत श्री सेवालाल महाराज ने एक बार गुलाम खान को युद्ध का ऐलान किया क्योंकि उन्होंने अपने व्यापार करने के लिए मंजूरी नहीं दी थी इसलिए उनके 900 सैनिकों ने उनके 30000 सैनिकों को मार गिराया था यह विजय हिंदुस्तान में सबसे बड़ी विजय थी लेकिन इतिहासकारों ने इनका कभी जिक्र नहीं किया संत सेवालाल एक महान योद्धा तपस्वी थे लेकिन वह जो कहते थे वह सही भी सच होता था संत सेवालाल महाराज ने जो भविष्यवाणी की गई है वह अभी सर्च हो रही है संत सेवालाल कलयुग में कहा था कि बहू सास को बहुत बड़ी दुख देगी बेटा मां बाप की नहीं सुनेगा जानवरों की सोने के जैसी कीमत होगी ₹10 में 10 चने भी नहीं बिकेंगे पानी पैसे से मिलेगा संत सेवालाल ने कहा था कि तुम पर्यावरण को हानि पहुंचाओ को तो निसर्ग तुम्हें भी उनकी एक प्रकार की हानि पहुंचाएगी यदि तुम निसर्ग का पालन नहीं करोगे तो इस दुनिया में बहुत ही बड़ा दुख और लोग धूप से घर घर से बाहर भटके आएंगे संत सेवालाल ए कहते हैं कि जो उच्च शिक्षित होता है वही धर्म की रक्षा कर सकता है संत सेवालाल ने एक बार रानी विक्टोरिया की जहाज समुद्र में बंद पोरबंदर पर फंसी थी उस समय संत सेवालाल ने उस जहाज को निकाला था और रानी ने उनको एक मोती की माल देकर उनको बक्शीश दी थी इसलिए तभी से संत श्री सेवालाल महाराज को मोती वालों का आ जाता है संत सेवालाल जीवो के प्रति प्राणियों के प्रति उनका भाव बहुत ही अच्छा था एक बार उनके साथी जंगल में घूमते घूमते गए लेकिन वहां पर उनके साथियों ने मछलियों को देखा तब उनको खाने के लिए लालसा हुई इस वक्त संत श्री सेवालाल ने कहा कि यह मछलियां ले लो और एक बार वह मछली पकाने के बाद खाने लगे फिर भी जो तुम जो मछली खाते हो वह मछली इसके काटे सब एक ही जगह करें तब संत श्री सेवालाल ने महाराज ने उन कांटों को लेकर पानी में डाला तो सब मछलियां तैरने लगी इससे उन लोगों ने उन लोगों को कहा कि तुम दूसरों का जीव नहीं बचा सकते को बचा नहीं सकते हो तो दूसरों का जीव लेने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं है संत सेवालाल एक चमत्कारी भी थे उन्होंने अन्य लोगों को उनको सिर्फ हाथ लगाने से ही वह ठीक हो जाता था संत श्री सेवालाल महाराज मरे हुए इंसान को भी जिंदा कर देते थे इन इसलिए उनमें बहुत बड़ी शक्ति थी संत सेवालाल महाराज श्री जगदंबा देवी के भक्त थे
